UPSC
में चालीसवीं रैंक हासिल करने वाले 23 साल के अक्षय गोदारा की मां नैनी
देवी बिलकुल अनपढ़ है। उनके तीनों बेटे IITian है। नैनी देवी कहती हैं कि
बचपन में तीनों बेटों को पढ़ाने के लिए उनके बीच लकड़ी लेकर बैठती थी।
अक्षय पिछले साल पहले ही प्रयास में आईपीएस कैटेगरी में सिलेक्ट हुए थे। उन्हें यूपी काडर मिला और वे अभी हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल आईपीएस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे है।
मां की जुबानी ऐसे बना बेटा आईएएस:
जोधपुर-पाली रोड पर भाखरी गांव निवासी नैनी देवी ने बताया कि उनके यहां लड़कियों को पढ़ाया ही नहीं जाता था। शादी के बाद तीन बेटे हुए तो उन्हें पढ़ाने के लिए जोधपुर में किराए पर एक कमरा लिया।
जोधपुर डिस्कॉम में इंजीनियर पति दुर्गाराम की पोस्टिंग जोधपुर से बाहर ही रही। ऐसे में तीनों बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे ऊपर ही थी।
मैं पढ़ना नहीं जानती, लेकिन इतना अवश्य जानती थी कि बच्चे ज्यादा पढ़ेंगे तो नंबर अधिक आएंगे।
मैं सुबह चार बजे तीनों बेटों को उठाकर उनके बीच में एक लकड़ी लेकर बैठ जाती, सभी से कहती कि ढंग से पढ़ो नहीं तो ये लकड़ी है और तुम हो।
अब चाहे इस लकड़ी का भय कहो या बच्चों की लगन तीनों बहुत मन लगाकर पढ़ते रहते। अक्षय के सबसे अधिक नंबर आते। मैं ज्यादा नहीं समझती लेकिन वह हमेशा आकर बताता कि दस में से दस नंबर आए है।
अक्षय पिछले साल पहले ही प्रयास में आईपीएस कैटेगरी में सिलेक्ट हुए थे। उन्हें यूपी काडर मिला और वे अभी हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल आईपीएस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे है।
मां की जुबानी ऐसे बना बेटा आईएएस:
जोधपुर-पाली रोड पर भाखरी गांव निवासी नैनी देवी ने बताया कि उनके यहां लड़कियों को पढ़ाया ही नहीं जाता था। शादी के बाद तीन बेटे हुए तो उन्हें पढ़ाने के लिए जोधपुर में किराए पर एक कमरा लिया।
जोधपुर डिस्कॉम में इंजीनियर पति दुर्गाराम की पोस्टिंग जोधपुर से बाहर ही रही। ऐसे में तीनों बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे ऊपर ही थी।
मैं पढ़ना नहीं जानती, लेकिन इतना अवश्य जानती थी कि बच्चे ज्यादा पढ़ेंगे तो नंबर अधिक आएंगे।
मैं सुबह चार बजे तीनों बेटों को उठाकर उनके बीच में एक लकड़ी लेकर बैठ जाती, सभी से कहती कि ढंग से पढ़ो नहीं तो ये लकड़ी है और तुम हो।
अब चाहे इस लकड़ी का भय कहो या बच्चों की लगन तीनों बहुत मन लगाकर पढ़ते रहते। अक्षय के सबसे अधिक नंबर आते। मैं ज्यादा नहीं समझती लेकिन वह हमेशा आकर बताता कि दस में से दस नंबर आए है।
अन्य बच्चों को कोचिंग पर जाता देख मैने अपने पति से एक बार जिद की कि
मेरे बच्चे पिछड़ जाएंगे, ऐसे में इनकी भी कोचिंग कराई जाए। मैं अक्षय को
लेकर इसके शिक्षक के घर गई, लेकिन उन्होंने यह कह लौटा दिया कि अक्षय बहुत
होशियार है और इसे कोचिंग की आवश्यकता नहीं है।
अक्षय जब छठी कक्षा में था तब मैने अंतिम बार उस पर हाथ उठाया। इसका कारण तो अब याद नहीं लेकिन
किसी शैतानी को लेकर सजा दी थी। इसके बाद अक्षय ने कभी ऐसा अवसर प्रदान नहीं किया।
मुझे खुशी है कि अक्षय की मेहनत रंग लाई और अब वह बहुत बड़ा अफसर बन जाएगा। सब लोग बधाई दे रहे है तो बहुत अच्छा लग रहा है।
कई बार खेती के लिए गांव जाने पर दसवीं में पढऩे वाला अक्षय अपने दोनों भाई का खाना बना उन्हें तैयार कर सबके साथ स्कूल जाता था। भगवान सभी को ऐसा सीधा, समझदार और होशियार बेटा दे।
Jat youth सलाम करता है नैनी देवी जी को.
अक्षय जब छठी कक्षा में था तब मैने अंतिम बार उस पर हाथ उठाया। इसका कारण तो अब याद नहीं लेकिन
किसी शैतानी को लेकर सजा दी थी। इसके बाद अक्षय ने कभी ऐसा अवसर प्रदान नहीं किया।
मुझे खुशी है कि अक्षय की मेहनत रंग लाई और अब वह बहुत बड़ा अफसर बन जाएगा। सब लोग बधाई दे रहे है तो बहुत अच्छा लग रहा है।
कई बार खेती के लिए गांव जाने पर दसवीं में पढऩे वाला अक्षय अपने दोनों भाई का खाना बना उन्हें तैयार कर सबके साथ स्कूल जाता था। भगवान सभी को ऐसा सीधा, समझदार और होशियार बेटा दे।
Jat youth सलाम करता है नैनी देवी जी को.
Jat youth सलाम करता है नैनी देवी जी को |
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