Param Vir Chakra Winner - फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों

निर्मलजीत सेखों का जन्म 17 जुलाई, 1943 को रूरका गाँव, लुधियाना, पंजाब के जाट सिख परिवार में हुआ ।
पुरस्कार-उपाधि परमवीर चक्र (1971)



शौर्य गाथा....

14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने हमला किया था। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट वेमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है। निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकार दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ट पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तौयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...


'मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा...'

उसके कुछ ही क्षण बाद नेट से आक्रमण की आवाज़ आसपान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया:

'मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।'

इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजित सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था। इसके बाद नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। अभी निर्मलजीत सिंह को कुछ और भी करना बाकी था, उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा-

'शायद मेरा नेट भी निशाने पर आ गया है... घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।'

यह  Paramvir निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था। अपना काम पूरा करके वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

Real story of One of India's finest chopper pilots Wing Commander Mandeep Singh Dhillon

Real story of One of IAF's finest chopper pilots Wing Commander Mandeep Singh Dhillon.

Mahabharat Kesri - Chandagi Ram Kaliramna

Chandagi Ram #Kaliramna is One of the best-known wrestlers of 60s and early 70s, who had a huge fan following throughout the country. Tall and well built, he was known as much for his wit and humour as for his reach and tricky holds over his opponents.



He earned his name in the Indian style wrestling and his bouts always attracted huge crowds. His bouts against Mehr Din of Rajasthan for the 'Hind Kesari' title used to be packed with drama. With titles like 'Hind Kesari', 'Bharat Kesari', 'Bharat Bhim', 'RusCom-e-Hind' and 'Maha Bharat Kesari', he was the natural choice for the Arjuna Award in 1969 followed by the Padma Shri in 1971.
Born on 9 November 1937 in Kaliramna Jat gotra at 'Sisai' village in Hissar district of Haryana, Chandgi Ram passed his matriculation and then obtained a diploma in arts and crafts. For a short spell he served as a sepoy with the Jat Regimental Centre of the Indian Army and then picked up the job of a drawing teacher in a school. It was his stint as a school teacher that earned him the name of 'Master' and he came to be known as Master Chandgi Ram. The turban added to his stature.
Chandgi Ram started his wrestling career a bit late in life, at the age of 21 to be precise. He shot into fame with his victory in the National Championships, first at Ajmer in 1961 and then at Jaiandhar in 1962. In between he won the 'Hind Kesari' title in Delhi in 1962, a feat he was to repeat in Rohtak in 1968 and Indore in 1972. He also won the Delhi-based 'Bharat Kesari' title in 1968 and 1969 and the Lucknow-based 'Bharat Bhim' title in 1969 and 1970. He was crowned 'Rustom-e-Hind'in 1969.
The most impressive feat of his international career was the 1970 Asian Games in Bangkok. Competing in the 100-kg class, he defeated the World Champion Amvani Abuifazi of Iran to claim a Gold Medal for the country. Two years later he represented India in the 1972 Olympic Games at Munich in Germany.

Chandgi Ram served as Additional Director of Sports in Haryana and also acted in two rims, playing the roles of Veer Ghatotkacha and Tarzan. Till his last days, he remained associated with wrestling, the game which gave him name and fame. He trained the budding wrestlers in his 'akhara' located on the banks of the Yamuna river in Delhi and authored a book on wrestling, "Bhartiya Kuskti Ke Dav Pench" (भारतीय कुश्ती के दांव-पेच).


Patriotism is in our Blood - Jat Village Salva Kalla Jodhpur, Rajasthan


कारगिल शहीद चौधरी कालुराम जाखड़ - 1999 Kargil war Martyr Chaudhary Kalu Ram Jakhad


...सन् 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सिपाही श्री कालुराम जाखड़ अपनी रेजिमेन्ट -17 जाट के साथ जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में पिंप्पल पहाड़ी पर तैनात थे ,रेजिमेन्ट का लक्ष्य था-पिंप्पल पहाड़ी पर पुनः अधिकार करना , जहाँ पाकिस्तान के भाड़े के सैनिकों ने बंकर बना लिए थे ।

.....वहाँ पुनः कब्जा कर राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु वीर भूमि राजस्थान का यह वीर आगे बढ़ा, भीम-सी जांघ फटकारी और अपनी मोर्टार संभाली, अनगिनत गोले बरसाये, देखते ही देखते पिंप्पल पहाड़ी पर 2 बंकर नष्ट कर दिये और कईं पाक सैनिकों को मार गिराया, अभी एक बंकर और शेष था, जवानों की टुकड़ी में विचार-विमर्श हुआ कि दुश्मन को चकमा दिया जाए ....और जवानों की एक टुकड़ी ने पाक की दिशा से पाक सैनिकों पर गोले बरसाने लगी, दुश्मन कुछ समझ पाते, उससे पहले भारत की तरफ से भी गोले आने लगे, तीसरे बंकर में छिपे बैठे पाक सैनिकों में कोहराम मच गया । अपनी जान जाती देख दुश्मनों ने अपने हथियार संभाल लिये और जवाब में हमला बोल दिया लेकिन भीम-से इरादों वाला वह वीर कहाँ रूकने वाला था, गोले पे गोले दागते रहा,.....इस बीच दुश्मन का एक गोला आया और वीर की जांघ पर लग गया, वीर की मुट्ठीयां भींच गई और भारत माता की जय बोलते हुए राकेट दागने शुरू कर दिये तत्पश्चात तीसरे बंकर से ''भागो-भागो '' की आवाजें आने लगी और 17 जाट रेजिमेन्ट ने पिंप्पल पहाड़ी पर पुनः अधिकार कर लिया, इसी बीच 4 जुलाई 1999 को 'ऑपरेशन विजय 'के दौरान अपने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन करते हुए इस रणबांकुरे ने अपना बलिदान दिया,
उनकी सैनिक कुशलता, साहस, कर्तव्यनिष्ठा एवं देशभक्ति के लिए भारत सरकार ने उन्हें ''बैज ऑफ सेक्रीफाईस" (मरणोपरांत )से सम्मानित किया ।


आपकी स्मृति में गाँव से जोधपुर जाने वाली मुख्य सड़क पर '' शहीद स्मारक '' बना हुआ है और गाँव के मुख्य चौक में '' मूर्ति स्थल '' बना हुआ है जहाँ मूर्ति का अनावरण भव्य समारोह के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री महोदय द्वारा 11 नवंबर 2002 को किया गया ।


आपकी स्मृति को चिरस्थायी बनाये रखने हेतु स्थानीय विद्यालय का नामकरण भी '' शहीद श्रीकालुराम जाखड़ रा.उ.मा. विद्यालय, खेड़ी चारणा ''किया गया है ।


....गर्व है हमें आपके शौर्यशाली बलिदान पर जो आज भी हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है ....


1999 Kargil war Martyr Chaudhary Kalu Ram Jakhad

1999 Kargil war Martyr Chaudhary Kalu Ram Jakhad

1999 Kargil war Martyr Chaudhary Kalu Ram Jakhad


गाँव - खेड़ी चारणा,(भोपालगढ,जोधपुर ) जन्म -12/07/1974
सेना में नियुक्ति - 28/04/1994
शहीद तिथि -04/07/1999
पुनः शहीद कालुरामजी को शत् शत् नमन....जय हिन्द ....

Shaheed Capt. Prithvi Singh Dagar - Hero of Nathu LA 1967

At 5:30 hours on 11th September ,1967, Captain Prithvi Singh Dagar was detailed as the Officer in charge of a party ordered to strengthen the wire laying party opposite South shoulder at Nathula. Soon after the work was started the Chinese engaged in a scuffle with his party, but undaunted,he continued his work. The Chinese soldiers opened fire and he was hit by a riffle bullet in the right hand. Despite his wound, and in the face of MMG fire from the attacking force, he with the riffle of a dead comrade,Killed two Chinese soldiers. Despite all efforts, the Chinese MMG could not be silenced . Finding no other alternative but to make a direct assault,he leapt forward and assaulted the MMG position, and in this action he laid down his life.

In this action, Captain Prithvi Singh Dagar displayed exemplary courage and leadership of a high order.

Capt Prithvi Singh Dagar, Vir Chakra (Posthumous), From Village Malik Pur, #Najafgarh, #Delhi, Martyr on 11.9.1967 near China border, Unit : 2 Grenadiers

Shaheed Capt. Prithvi Singh Dagar - Hero of Nathu LA 1967


Shaheed Capt. Prithvi Singh Dagar - Hero of Nathu LA 1967

Shaheed Capt. Prithvi Singh Dagar - Hero of Nathu LA 1967

जाट महापुरुष - अपनी जड़ों से जुड़ाव रखो युवा साथियों


जो पेड़ अपनी जड़ों से अलग हो जाते हैं,वो नष्ट हो जाते हैं... अपनी जड़ों से जुड़ाव रखो युवा साथियों...

1. 1 जनवरी - वीरवर गोकुला बलिदान दिवस
2. 9 जनवरी - चौ. छोटूराम निर्वाण दिवस
3. 14 जनवरी - राजा खेमकरण सोगरिया जयंती
4. 17 जनवरी - श्री बलदेव राम मिर्धा जन्म दिवस
5. 10 फरवरी - वीर तेज़ाजी जयंती
6. 13 फरवरी -महाराजा सूरजमल जन्म दिवस
7. 15 फरवरी - ठा. देशराज़ जन्म दिवस
8. 21 फरवरी -राजा मानसिंह शहादत दिवस
9. 15 मार्च - डॉ. साहब सिंह वर्मा जयंती
10. 23 मार्च - शहीद ए आज़म भगत सिंह बलिदान दिवस
11. 28 मार्च - महाराजा भीम सिंह राना बलिदान दिवस
12. 6 अप्रेल - चौ. देवीलल (ताऊ) निर्वाण दिवस
13. 7 अप्रेल - सेठ छाजूराम निर्वाण दिवस
14. 17 अप्रेल - ठा. देशराज निर्वाण दिवस
15. 29 अप्रेल - राष्ट्रपति राजर्षि महेन्द्र प्रताप निर्वाण दिवस
16. 29 मई - चौ. चरण सिंह निर्वाण दिवस
17. 15 जून - बाबा महेंद्र सिंह टिकैत निर्वाण दिवस
18. 27 जून - महाराजा रणजीत सिंह निर्वाण दिवस
19. 30 जून - डॉ साहब सिंह वर्मा निर्वाण दिवस
20. 8 जुलाई - महाराजा बृजेन्द्र सिंह निर्वाण दिवस
21. 16 जुलाई - कैप्टन भगवान सिंह निर्वाण दिवस
22. 7 अगस्त - महाराजा जवाहर सिंह निर्वाण दिवस
23. 11 अगस्त - जस्टिस महावीर सिंह निर्वाण दिवस
24. 22 अगस्त - राजा मीरेन्द्र सिंह निर्वाण दिवस
25. 30 अगस्त - श्री नाथूराम मिर्धा निर्वाण दिवस
26. 13 सितम्बर - स्वामी केशवानंद निर्वाण दिवस
27. 25 सितम्बर - वीर तेज़ाजी दशमी / चौ. देवीलाल जयंती
28. 28 सितम्बर - सरदार भगत सिंह जयंती
29. 20 अक्टूबर - बाबा नाथूराम जन्म दिवस
30. 25 अक्टूबर - श्री कुंभाराम आर्य निर्वाण दिवस
31. 23 नवंबर - जाट रेजिमेंट ध्वज दिवस
32. 24 नवंबर - चौ. छोटूराम जयंती
33. 30 नवंबर - राजा बच्चू सिंह जन्म दिवस
34. 1 दिसंबर - राजा महेंद्र प्रताप जन्म दिवस / महाराजा बृजेन्द्र सिंह जयंती
35. 5 दिसंबर - राजा मानसिंह जयंती
36. 23 दिसंबर - प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह जयंती (किसान दिवस )
37. 24 दिसंबर - चौ. छोटूराम जयंती
38. 25 दिसंबर - महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस
जड़ों से , जुड़े रहो सुखने का डर नहीं रहेगा जय जाट जय जाट देवता जय धरती माँ